(2) जवाहर सरसों-2 (जे.एम-2) जे.एम.डब्ल्यू.आर. 941-1-2 वर्ष 2004 में राई सरसों परियोजना मुरैना द्वारा विकसित यह किस्म भी श्वेत किटट रोग प्रतिरोधी किस्म है एवं अल्टरनेरिया भुलसन रोग के प्रति सहिष्णु है।
3.
राई सरसों प्रजातियों में मुख्य रूप से सरसों की खेती कुल क्षेत्र के 90 प्रतिशत क्षेत्र में की जाती है, बाकी बचे 10 प्रतिशत क्षेत्र में तोरिया आदि की खेती सीमान्त एवं लघु सीमान्त क्षेत्रों में की जाती है।
4.
गेहंू सिंचित 18, 500 हेक्टेयर गेहू असिचिंत 2194 हेक्टेयर, चना 16 हजार 366 हेक्टेयर, मसूर 6 हजार 766 हेक्टेयर, मटर 682 हेक्टेयर, अलसी 91 हेक्टेयर, तेवडा़ 52 हेक्टेयर, राई सरसों 10 हेक्टेयर एवं जौ 7 हेक्टेयर की बोवनी की गई थी।
5.
दवा का ८ ००-१ ००० लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए | बुवाई के एक माह बाद एक प्रोफ़ाइलेक्टिक (अवरोधक) छिड़काव करना लाभदायक है | ७. राई सरसों में बुवाई के समय ६ ० किग्रा.